अरुणाचल की 1 सच्ची कहानियां ।



अरुणाचल की 1 सच्ची कहानियां

मेरा नाम फ्रैक्‍स है और मैं अरूणाचल प्रदेश का रहने वाला हूं। यू तो ये भारत का एक छोटा-सा स्‍टेट है पर यहां पहाड़, नदी, झ़ील और बहुत सारे घने जंगल है। ये जंगल दिन में देखने में जितने सुंदर लगते है, रात में ये जंगल उतने ही खरतनाक बन जाते हैं।
मै आपकों अपनी 2 कहानियां बताने जा रहा हूं। ये पहले वाली कहानी मुझे मेरे दादा जी ने बताई थी। अब तो वो इस दुनिया में नहीं है पर जब वो इस दुनिया में थे तब उन्‍होंने मुझे बताया था की जब वो जवान थे तो वो लोग ज्‍यादातर गांव में ही रहा करते थे और खेती करते थे। वैसे मैं बता दूं कि यहां के ज्‍यादाततर लोग खेती ही करते हैं। और पुराने जमाने में लोग खेती करके ही अपना गुजारा करते थे। तो दादा जी ने मुझे बताया की जब वो लोग खेती किया करते थे तो रात में वो खेत के पास बने एक छोटे से बास के बने घर में रहते थे और वहीं खेत की रखवाली करते थे कि कोई जंगली जानवर खेत में ना आ जाएं। दादा जी ने बताया ऐसे ही एक साल खेती का सीजन था, मैं मेरे पापा-मम्‍मी और मेरा एक छोटा भाई हम लोग खेत में ही काम कर रहे थे। मैंने मेरे कुछ दोस्‍तों को भी बुला लिया था, मदद करने के लिए। हमने दिन-भर खेत में काम किया और रात में घर जाते वक्‍त मेरे पापा ने कहा कि आज तुम्‍हे खेत में ही सोना है और फसल का ध्‍यान रखना है। मुझे खेत में सोना बिल्‍कुल पसंद नहीं था पर क्‍योंकि पापा ने कहा था इसलिए मैं मना भी नहीं कर पाया। मैंने मेरे साथ मेरे एक दोस्‍त को भी वहीं रूकने को बोला और वो मान गया। शाम के शायद 6 या 7 बजे थे हम दोनों बहुत थक गए थे।hi
 रात में हम दोनों अकेले ही थे इसलिए हम दोनों ने शराब पी ये सोचकर की शायद थोड़ी थकान उतर जाएं। हम दोनो खेत के बाहर बास से बनी एक चारपाई पर बैठे थें। मेरा दोस्‍त पीते-पीते पता नहीं कब सो गया शायद वो बहुत ज्‍यादा थक गया था इसलिए मैंने भी उसे जगाना ठीक नहीं समझा। तो मैं वहीं एक कोने में जाकर बीडी पीने लगा। मैं वहां बीड़ी पी ही रहा था की अचानक बहुत तेज हवा चलने लगी। पहले ऐसी हवा नहीं चल रही थी। मैंने ज्‍यादा ध्‍यान नहीं दिया और फिर से बीड़ी पीने लगा। लेकिन, तभी मुझे ऐसा लगा जैसे कोई खेत में चल रहा है। पहले तो मुझे लगा की शायद मेरा दोस्‍त टॉयलेट जाने के लिए उठा होगा। इसलिए मैंने ज्‍यादा ध्‍यान नहीं दिया। खेत में पानी भरा था ओर कुछ ही मिनट बाद मुझे लगा की कोई खेत में पानी में चल रहा है। अब भी मुझे यहीं लगा की शायद वो मेरा दोस्‍त ही है। क्‍योंकि इतनी रात वहां कोई और नहीं आ सकता था मैंने उसे आवाज देते हुए पूछा की तुम उठ गए क्‍या पर उसने कोई जवाब नहीं दिया फिर मैंने पीछे मुड़कर देखा जहां वो सो रहा था तो देखा तो वो वहीं गहरी नींद में ही सो रहा था। मेरे दिल में उसी वक्‍त बहुत ज्‍यादा ड़र आ गया था। अगर वो वहां सो रहा था तो बाहर कौन था। कहीं कोई जंगली जानवर तो नहीं घुस आया था खेत में। मैंने एक ड़ंडा उठाया और खेत के चारों और देखने लगा लेकिन, वहां कोई नहीं था फिर तभी मुझे कोई दिखाई एक लंबा-सा आदमी मुझे देखकर इतनी तेज भागा जैसे कोई तेज जानवर हो और भागते हुए उसने एक बड़े से पैड़ पर छलांग मारी और एक झटके में पेड़ के ऊपर चढ़ गया और गायब हो गया। ऐसा करना किसी इंसान के बस का नहीं था। मैं कुछ सैंकण्‍स तक वहीं देखता रहा मानो की मैं बर्फ की तरह जम गया हूं।
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